भारत में परवरिश (Parenting) को एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी के साथ साथ संस्कार से जुड़ी प्रक्रिया भी माना जाता है। माता-पिता अपने बच्चों के लिए सब कुछ करने को तैयार तो रहते हैं, लेकिन जाने-अनजाने में वे कुछ ऐसी आम गलतियाँ कर बैठते हैं जो कि बच्चों के मानसिक विकास, आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास को नुकसान पहुँचा सकती हैं।
इस लेख में हम जानने का प्रयास करेंगे कि भारतीय माता-पिता अक्सर कौन-कौन सी परवरिश की गलतियाँ करते हैं, और उनका बच्चों पर क्या असर पड़ता है और हम उनसे कैसे बच सकते है।
1. तुलना करना
भारतीय घरों में बच्चों की तुलना करना आम बात है। माता-पिता अक्सर बच्चों की तुलना उनके भाई-बहनों, दोस्तों या पड़ोसियों से करते रहते हैं। जैसे “शर्म नहीं आती? देखो शर्मा जी का बेटा…”
क्यों है ये गलती?
इस प्रकार कि तुलना करने के कारण बच्चों में हीन भावना पैदा होती है।
इस तरह कि तुलना करने से बच्चों का आत्मविश्वास भी कम हो जाता है।
इससे बच्चा अपनी असली पहचान खो देता है।
सही तरीका क्या है?
हर बच्चे की अपनी एक योग्यता होती है जिसे हर माता पिता को समझना चाहिए।
बच्चों कि खूबियों को देखें और उसकी तारीफ करें।
साथ ही बच्चों कि तुलना के बजाय बच्चों को प्रेरणा देने वाली कहानियाँ सुनाएं।
2. बच्चों की भावनाओं को अनदेखा करना
कई माता-पिता यह मानते हैं कि बच्चों की भावनाएँ या समस्याएं ‘बेमतलब’ होती हैं। जैसे कि, "इतनी छोटी बात पे रो रहा है?", "तू बच्चा है, तुझे क्या टेंशन?"
नतीजा क्या होता है?
इसके कारण बच्चा अपनी बातें शेयर करना बंद कर देता है।
और इससे बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है।
क्या करें?
सबसे पहले बच्चे की हर बात को गंभीरता से सुनना चाहिए।
उसे महसूस कराएं कि उसकी हर भावनाएं महत्वपूर्ण हैं।
3. अति-संरक्षण (Overprotectiveness)
बच्चों की सुरक्षा करना हर माता पिता के सबसे ज्यादा जरूरी है, लेकिन अत्यधिक हस्तक्षेप से बच्चा आत्मनिर्भर नहीं बन पाता जिसके कारण बच्चे को असल जिंदगी मैं जाने पर दिक्कतों जा सामना करना पड़ता है।
उदाहरण के लिए
बच्चा स्कूल खुद नहीं जा पाता क्योंकि माँ-पापा हर जगह साथ जाते हैं।
कोई फैसला खुद नहीं ले पाता क्योंकि हर चीज में पैरेंट्स की राय शामिल होती है।
सही उपाय:
सबसे पहले बच्चों को अपने छोटे-छोटे कामों में उन्हें निर्णय लेने कि आजादी दें।
सबसे बड़ी बात बच्चों को गलती करने दें, ताकि वो सीख सकें।
4. बच्चों की इच्छा को अनदेखा करके करियर थोपना
भारतीय पैरेंट्स अक्सर अपने अधूरे सपने को बच्चों पर थोप देते हैं। और बच्चों के ऊपर दबाव बनाते है कि आपको यह बनना है यह करना है जिससे वो अपना मूल सपने को ना देख पाते और ना ही उसे पूरा कर पाता है
जैसे:
“तू इंजीनियर बनेगा”
“डॉक्टर ही बनना है, यही सही करियर है”
इसका असर:
इससे बच्चा दबाव में रहता है कि उसे मुझे माता पिता जा सपना हर हाल मैं पूरा करना है
जिसके कारण वह अपनी रुचियों को कभी खोज ही नहीं पाताहैं।
क्या करें?
बच्चे की रुचियों और हुनर को पहचानें।
आप को उसे गाइड करना चाहिए, न कि मजबूर करना चाहिए।
5. बच्चों को ज़िम्मेदारी न देना
दूसरी और देखा गया हैं कि माँ बाप बच्चों को कोई छोटा काम भी खुद नहीं करने देते जिसके कारण बच्चों को कोई भी काम करने मैं डर लगता हैं जैसे
"तू अभी बच्चा है, तुझे क्या पता" – ये वाक्य भारतीय घरों में आम हैं।
नुकसान:
इससे होता यह हैं कि बच्चा जिम्मेदार नहीं बन पाता।
और इसके आलावा बच्चों मे आत्मनिर्भरता भी नहीं आती।
समाधान:
आपको सबसे करना चाहिए कि बच्चों को घर के छोटे-छोटे काम सौंपें।
और साथ ही बच्चे पर भरोसा जताएं कि वह उस काम को कर सकता है।
6. दूसरों के सामने बच्चों को डाँटना या शर्मिंदा करना
कई माता-पिता बच्चों की गलतियों पर उन्हें पब्लिक में डाँट देते हैं। और यही नहीं बच्चे के सामने दूसरे बच्चे कि तारीफ करते है जिससे कारण बच्चों को हीन भावना महसूस होती हैं
उदाहरण के लिए
इस तरह कि व्यवहार से बच्चा शर्मिंदा होता है।
और इससे बच्चे उसका आत्म-सम्मान भी टूटता है।
बेहतर तरीका:
बच्चों को निजी तौर पर समझाएं।
बच्चे कि प्यार और तर्क से बात करें।
7. "No" बोलना सिखाना नहीं
कुछ पैरेंट्स हर बार बच्चे की हर बात मान लेते हैं, तो कुछ हर बार मना कर देते हैं – दोनों ही तरीके गलत हैं।
क्या सिखाना चाहिए?
बच्चों के लिए सीमाएँ निर्धारित करना चाहिए
बच्चे को समझाना कि हर चीज तुरंत नहीं मिल सकती।
8. पढ़ाई को ही सब कुछ मानना
भारत में पढ़ाई को लेकर अत्यधिक दबाव डाला जाता है जिसके कारण बच्चे खेल कूद जैसे – खेल, कला, या किसी और एक्टिविटी करना समय की बर्बादी माना जाता है।
इससे क्या होता है?
इसके कारण बच्चा रचनात्मक नहीं बन पाता।
बच्चे सिर्फ रटने की मशीन बन जाता है।
क्या करें?
पढ़ाई के साथ-साथ एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज को भी अहमियत दें।
बच्चों को अपने शौक को अपनाने का मौका दें।
9. बिना बात के सख्त अनुशासन
कई बार माता-पिता बच्चों पर बहुत ज्यादा अनुशासन थोपते हैं, जैसे कि: मोबाइल बिलकुल नहीं मिलेगा, टीवी देखना मना है, बाहर खेलने नहीं जाना
नुकसान:
बच्चा विद्रोही स्वभाव का हो सकता है।
डर की वजह से झूठ बोलने लगता है।
बेहतर तरीका:
सीमाओं के पीछे की वजह समझाएं।
समय का सही संतुलन सिखाएं।
10. खुद की गलतियाँ ना मानना
माता-पिता अक्सर ये मानते हैं कि वे हमेशा सही हैं, और बच्चों के सामने अपनी गलती नहीं स्वीकारते।
क्या होता है इससे?
बच्चा भी जिद्दी और अड़ियल बनता है।
वह माफ़ी मांगना नहीं सीखता।
सही रवैया:
अगर कभी आपसे गलती हो जाए, तो "सॉरी" कहने में हिचकिचाएं नहीं।
इससे बच्चा भी ईमानदारी और इंसानियत सीखेगा।
भारतीय माता-पिता अपने बच्चों को बेहतर भविष्य देने की नीयत से परवरिश करते हैं, लेकिन कई बार अज्ञानता, सामाजिक दबाव या पुराने परंपरागत सोच की वजह से वे कुछ ऐसी गलतियाँ कर बैठते हैं जो बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास को रोक सकती हैं।
एक समझदार पैरेंट वही होता है जो खुद भी सीखे, बदले और समय के साथ-साथ अपनी सोच को अपडेट करे।